With this article students can get CBSE Class 10th Hindi (Course A) 2017 Board Exam's question paper for download in PDF format. This question paper will prove to be very helpful while preparing for the new assessment scheme in CBSE Class 10, i.e., students can get an idea of the important questions to be asaked in school based Periodic Tests as well as the CBSE Class 10 Board Examination 2018.
CBSE Class 10th Question Papers 2016
Some sample questions from the CBSE Class 10 Hindi (Course A) Question Paper, 2017, are given below:
प्रश्न:
निर्देशानुसार वाच्य परिवर्तित कीजिए:
(क) फुरसत में मैना ख़ूब रियाज़ करती है l (कर्मवाच्य में)
(ख) फ़ख्ताओं द्वारा गीतों को सुर दिया जाता है l (कर्तृवाच्य में)
(ग) बच्चा साँस नहीं ले पा रहा था l (भाववाच्य में)
(घ) दो-तीन पक्षियों द्वारा अपनी-अपनी लय में एक साथ कूदा जा रहा था l (कर्तृवाच्य में)
प्रश्न:
निम्नलिखित रेखांकित पदों का पद-परिचय दीजिए:
मनुष्य केवल भोजन करने के लिए जीवित नहीं रहता है, बल्कि वह अपने भीतर की सूक्ष्म इच्छाओं की तृप्ति भी चाहता है l
प्रश्न:
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर संक्षेप में लिखिए:
(क) मन्नू भंडारी ने अपनी माँ के बारे में क्या कहा है?
(ख) अंतिम दिनों में मन्नू भंडारी के पिता का स्वाभाव शक्की हो गया था, लेखिका ने इसके क्या कारण दिए ?
(ग) बिस्मिल्ला खां को ख़ुदा के प्रति क्या विश्वास है?
(घ) कशी में अभी भी क्या शेष बचा हुआ है?
(ड़) कौसल्यायन जी के अनुसार सभ्यता के अंतर्गत क्या-क्या समाहित है?
प्रश्न:
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर संक्षेप में लिखिए:
(क) ‘कन्यादान’ कविता में माँ ने बेटी को अपने चेहरे पर रीझने की सलाह क्यूँ दी है?
(ख) माँ का कौन-सा दुःख प्रामाणिक था, कैसे?
(ग) ‘जो न मिला भूल उसे कर तू भविष्य वरण’ – कथन में कवि की वेदना और चेतना कैसे व्यक्त हो रही है?
(घ) ‘धनुष को तोड़ने वाला कोई तुम्हारा दास होगा’- के आधार पर राम के स्वभाव पर टिप्पणी कीजिए l
(ड़) काव्यांश के आधार पर परशुराम के स्वभाव की दो विशेषताओं पर सोदाहरण टिप्पणी कीजिए l
प्रश्न
निम्नलिखित गद्यांश का शीर्षक लिखकर एक-तिहाई शब्दों में सार लिखिए :
ऐसा कोई दिन आ सकता है, जबकि मनुष्य के नाख़ूनों का बढ़ना बंद हो जाएगा l प्राणीशास्त्रियों का ऐसा अनुमान है कि मनुष्य का यह अनावश्यक अंग उसी प्रकार झड़ जाएगा जिस प्रकार उसकी पूँछ झड़ गई है l उस दिन मनुष्य की पशुता भी लुप्त हो जाएगी l शायद उस दिन वह मारणस्त्रों का प्रयोग भी बंद कर देगा l तब तक इस बात से छोटे बच्चों को परिचित करा देना वांछनीय जान पड़ता है कि नाख़ून का बढ़ना मनुष्य के भीतर की पशुता की निशानी है और उसे नहीं बढ़ने देना मनुष्य की अपनी इच्छा है, अपना आदर्श है l बृहत्तर जीवन में अस्त्र-शास्त्रों को बढ़ने देना मनुष्य की पशुता की निशानी है और उनकी बाढ़ को रोकना मनुष्यत्व का तकाज़ा l मनुश्यमें जो घृणा है, जो अनायास-बिना सिखाए आ जाती है, वह पशुत्व का द्योतक है और अपने को संयत रखना, दूसरों के मनोभावों का आदर करना मनुष्य का स्वधर्म है l बच्चे यह जानें तो अच्छा हो कि अभ्यास और ताप से प्राप्त वस्तुएँ मनुष्य की महिमा को सूचित करती हैं l
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