UK PM In 1947: साल 2024 में यूनाइटेड किंगडम के आम चुनावों में लेबर पार्टी ने शानदार जीत दर्ज की. कीर स्टार्मर के नेतृत्व में लेबर पार्टी (Labour Party) 14 साल बाद सत्ता में वापस आई. पार्टी ने यूके हाउस ऑफ कॉमन्स में 650 में से 412 सीटें हासिल कीं वहीं कंजर्वेटिव पार्टी को लगभग एक सदी में उसकी सबसे बड़ी हार मिली है. कीर स्टार्मर यूके के लिए एक नई उम्मीद बनकर आये है. बीते 5 जुलाई को उन्होंने पीएम पद भी संभाल लिया है.
ब्रिटेन के चुनाव में भारतीय कनेक्शन की बात करें तो भारतीय मूल के ऋषि सुनक के नेतृत्व में कंजर्वेटिव पार्टी इस बार सत्ता से बाहर हो गयी है. वहीं इस चुनाव में कई भारतीय मूल के नेता भी सांसद बने है. चलिये अब हम इतिहास के पन्नों को भी उलटते है और जानने की कोशिश करते है कि भारत को जब आजादी मिली थी तब यूके का प्रधानमंत्री कौन था और कौन सी पार्टी सत्ता में थी.
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1947 में कौन सी पार्टी थी सत्ता में:
बात करें भारत की आजादी के वर्ष कि तो लेबर पार्टी उस समय सत्ता में थी. भारत की आजादी से लेबर पार्टी का एक अलग ही कनेक्शन है. 14 सालों बाद सत्ता में लौटी लेबर पार्टी को हमेशा से ही भारत के साथ खड़ी रहने वाली पार्टी के रूप में जाना जाता है.
लेबर पार्टी का क्या ही भारत से कनेक्शन:
द्वितीय विश्व युद्ध के बाद ब्रिटेन की आर्थिक स्थिति कमजोर हो गई थी. भारतीय स्वतंत्रता में लेबर पार्टी का अहम योगदान माना जाता है. बता दें कि लेबर पार्टी 100 वर्षों से अधिक पुरानी पार्टी है. लेबर पार्टी का गठन ब्रिटेन में कमजोर और काम करने वाले लोगों की आवाज संसद में उठाने के लिए किया गया था. लेबर पार्टी ने सत्ता में आने के बाद भारत को आजादी देने का वादा किया था.
1945 में सत्ता में आई लेबर पार्टी:
दूसरे विश्व युद्ध की समाप्ति के बाद साल 1945 में हुए आम चुनावों में लेबर पार्टी ने शानदार जीत दर्ज की. कंजर्वेटिव पार्टी, जिसने दूसरे विश्व युद्ध में ब्रिटेन को जीत दिलाने में अहम भूमिका निभाई थी सत्ता से बाहर हो चुकी थी.
चर्चिल भारत की आजादी के विरोधी थे:
द्वितीय विश्व युद्ध के बाद ब्रिटेन की स्थिति कमजोर हो गई थी और ब्रिटिश साम्राज्य को बनाए रखना कठिन लग रहा था. कंजर्वेटिव पार्टी और उस ज़माने के पार्टी के दिग्गज नेता विंस्टन चर्चिल भारत की आजादी के पक्ष में नहीं थे. लेकिन लेबर पार्टी के सत्ता में आने के बाद बहरत की आजादी की उम्मीद एक बार फिर जगी साथ ही इधर भारत में स्वतंत्रता आंदोलन ने जोर पकड़ लिया था.
भारत की आजादी के समय कौन थे यूके के पीएम:
भारत की स्वतंत्रता के समय यूनाइटेड किंगडम के प्रधानमंत्री क्लेमेंट ऐटली (Clement Attlee) थे. जैसा की ज्ञात है कि लेबर पार्टी भारत की आजादी के पक्ष में थी, जिस कारण ऐटली ने भारत में सत्ता हस्तांतरण का एतिहासिक फैसला लिया. ऐटली लेबर पार्टी के नेता थे और उन्होंने 26 जुलाई 1945 से 26 अक्टूबर 1951 तक प्रधानमंत्री का पद संभाला था. उनकी इस भूमिका को भारतीय इतिहास में सदैव याद रखा जाता है.
क्लेमेंट ऐटली ने साल 1946 में, कैबिनेट मिशन को भारत भेजा गया था, जिसने भारतीय नेताओं के साथ स्वतंत्रता के मुद्दे पर बातचीत की थी. साल 1947 में, लॉर्ड माउंटबेटन को भारत का अंतिम वायसराय नियुक्त किया गया और उन्हें भारत की स्वतंत्रता की जिम्मेदारी सौंपी गई. उसके बाद 15 अगस्त 1947 को भारत को स्वतंत्रता मिली और भारत तथा पाकिस्तान दो स्वतंत्र राष्ट्र बने थे.
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